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सामाजिक बदलाव का नाम हैं वीना अरोडा

हर हर्ष के पूर्व “संघर्ष”है, बेटा और बेटी में न फर्क है,
किलकारियों से गूंजती जब भी धरती हां माँ वो तेरा ही रूप है..

मुझे आज इस बात का गर्व है कि मैंने बेटी के रूप में जन्म लिया। वही बेटी जिसने दुःख भी देखे और उस दुःख को अपनी लगन और अभिभावकों के जिद्द से सुख में बदला। मुझे लगता है कि किसी भी घर बेटी का जन्म लेना, मानो वाहेगुरु के वरदान से काम नहीं है। मैंने गरीब परिवार में जन्म लेकर यह पाया कि एक बेटी की परवरिश करना कितना कठिन है। मेरे अभिभावकों ने कभी बेटा- बेटी में अंतर नहीं किया। मैंने अपने जीवन में हमेशा यह सोचा की अगर आगे बढ़ना है और परिस्थियों को बदलना है तो शिक्षा के साथ संस्कार को साथ लेकर आगे चलना जरुरी है। यही कारण है कि न केवल मैंने अपनी शिक्षा को प्राथमिकता दी बल्कि अपने जैसी बेटियों के कल्याण और उत्थान की दिशा में भी कदम बढ़ाने का विचार किया। बेटियों के लिए काम करते हुए मुझे हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गए “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” अभियान से ऐसी प्रेरणा मिली कि मैंने अपना सर्वस्व पीड़ित- शोषित महिलाओ के लिए न्योछावर कर दिया। न केवल इतना बल्कि बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ अभियान से जुड़कर हरियाणा ही नहीं बल्कि आस पड़ोस के राज्यों में जाकर बेटियों के भ्रूण हत्या को रोकने और उन्हें प्रधानमंत्री जी के विचारो से रूबरू करवाकर, बेटियों का समाज में ऊंचा स्थान दिलाने में मैंने सालो से काम किया। प्रेरणादायक प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और आदरणीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी के सपनो को साकार करते हुए “एक साल में एक लाख किलोमीटर” सफर तय कर “बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ” अभियान को जन-जन तक पहुंचाने का काम करते हुए आज यही कोशिश “गिनिस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में दर्ज करने की पहल भी की जा रही है। आज बतौर “बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ” राष्ट्रिय ब्रांड एम्बैसडर के रूप में अपने कार्य का निर्वहन करते हुए आज मुझे गर्व है कि मैं काफी महिलाओं के टूटते घरो को न केवल बचा पायी बल्कि उनकी मानसिकता को भी धीरे धीरे बदलने में कामयाबी पाई, जो यह कहते है कि बेटियां अभिशाप है। आज पीएम मोदी का सपना पूरा हो रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयत्नों को सफलता मिल रही है और लिंगानुपात में सुधार होना उसी का नतीजा है। मैं माननीय पीएम मोदी और आदरणीय मनोहर लाल के विचारो की क्रांति से समाज की सोच बदलने के लिए हर संभव कोशिश करुँगी। क्योंकि यह मेरा दायित्व है कि मेरे आसपास में न कोई महिला शोषित रहे, न ही किसी मासूम -बेगुनाह बेटी की जान जाए तो इस दुनिया को देखने और उसकी खूबसूरती महसूस करने की सच्ची हकदार है। मैं आप सभी से प्रार्थना करुँगी हमारे प्रयत्न में आप भी मेरा साथ दे और साथ मिलकर “बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ” अभियान को सफल बनाये।

डॉ. वीना अरोड़ा
राष्ट्रिय ब्रांड एम्बेसडर बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ”
मोटिवेशनल स्पीकर

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